बच्चों में खांसी आम समस्या है, लेकिन हर बार एलोपैथिक दवाइयाँ देना सही नहीं होता। आयुर्वेदिक घरेलू उपाय न सिर्फ सुरक्षित होते हैं बल्कि बच्चों के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करते हैं।
इस लेख में हम आपको बताएंगे कुछ ऐसे देसी, आजमाए हुए नुस्खे जो आपके बच्चे की खांसी में तुरंत राहत देंगे – वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के।

खांसी के प्रकार और कारण – पहले समझें समस्या
बच्चों में खांसी आम बात है, लेकिन इसका प्रकार समझना बेहद ज़रूरी है। आयुर्वेद में खांसी को “कास रोग” कहा गया है, जो वात, पित्त और कफ दोष के असंतुलन के कारण होता है। मुख्यतः दो प्रकार की खांसी पाई जाती है – सुखी खांसी और कफ वाली खांसी।
सुखी खांसी में गले में जलन और खराश होती है, लेकिन बलगम नहीं निकलता। यह अक्सर एलर्जी, प्रदूषण या वायरस संक्रमण के कारण होती है। दूसरी ओर, कफ वाली खांसी में बलगम बनता है जो गले और छाती में जमा हो जाता है। यह आमतौर पर सर्दी या संक्रमण से होती है।
खांसी के पीछे कई कारण हो सकते हैं – जैसे मौसम में बदलाव, धूल-धुआं, ठंडी चीज़ों का सेवन, या वायरल संक्रमण। यदि बच्चों को बार-बार खांसी हो रही है, तो यह संकेत हो सकता है कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो रही है। इसलिए सही कारण की पहचान करना और उसके अनुसार उपचार करना बेहद जरूरी है। (बच्चों की खांसी के लिए आयुर्वेदिक उपाय)
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शहद और अदरक – बच्चों के लिए सबसे आसान उपाय
जब बच्चों को खांसी होती है, तो सबसे आसान, असरदार और प्राकृतिक उपाय है शहद और अदरक का मेल। यह नुस्खा आयुर्वेद में भी वर्षों से प्रयोग में लाया जा रहा है। शहद में प्राकृतिक सूदिंग गुण होते हैं जो गले की जलन को शांत करते हैं, जबकि अदरक में anti-inflammatory और antibacterial गुण होते हैं जो गले की सूजन को कम करते हैं।
उपयोग कैसे करें:
एक चुटकी (लगभग ½ चम्मच) ताजा अदरक का रस लें और उसमें 1 चम्मच शुद्ध शहद मिलाएं। इस मिश्रण को बच्चे को दिन में दो बार दें – सुबह और रात में। यह उपाय 2 साल से ऊपर के बच्चों के लिए सुरक्षित माना जाता है।
इस नुस्खे से न केवल खांसी में राहत मिलती है, बल्कि बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है। याद रखें, 1 साल से कम उम्र के बच्चों को शहद नहीं देना चाहिए, क्योंकि इससे botulism का खतरा हो सकता है। (बच्चों की खांसी के लिए आयुर्वेदिक उपाय)

तुलसी और मुलेठी का काढ़ा – इम्यून बूस्टर
तुलसी और मुलेठी आयुर्वेद की दो ऐसी जानी-पहचानी औषधियाँ हैं जो बच्चों की खांसी और जुकाम में बेहद लाभकारी होती हैं। ये दोनों इम्यून सिस्टम को मज़बूत करने के साथ-साथ गले की सूजन और संक्रमण को भी कम करती हैं।
बनाने की विधि:
एक पैन में 1 कप पानी लें। इसमें 4 से 5 ताजे तुलसी के पत्ते और आधा चम्मच मुलेठी चूर्ण डालें। इसे 5 मिनट तक उबालें जब तक पानी थोड़ा कम न हो जाए। फिर इसे छानकर हल्का गर्म रहने पर बच्चे को पिलाएं।
यह काढ़ा विशेष रूप से पुरानी और बार-बार होने वाली खांसी में असरदार होता है। मुलेठी गले में जमा कफ को बाहर निकालने में मदद करती है, वहीं तुलसी संक्रमण से लड़ने में सहायक होती है। यह उपाय 2 साल से ऊपर के बच्चों के लिए सुरक्षित है, लेकिन मात्रा और गर्माहट का विशेष ध्यान रखें। (बच्चों की खांसी के लिए आयुर्वेदिक उपाय)

गाय के घी में काली मिर्च – आयुर्वेदिक सिरप जैसा काम
जब बच्चों को कफ के साथ खांसी होती है, तो गाय का देसी घी और काली मिर्च का यह सरल आयुर्वेदिक नुस्खा बहुत प्रभावी साबित होता है। यह उपाय बच्चों के लिए सुरक्षित है और एलोपैथिक सिरप की तुलना में बिना साइड इफेक्ट राहत देता है।
बनाने का तरीका:
एक छोटा चम्मच देसी गाय का घी हल्का गर्म करें। इसमें एक चुटकी ताज़ी पिसी हुई काली मिर्च मिलाएं। इस मिश्रण को सोने से ठीक पहले बच्चे को दें। 2 से 3 साल से ऊपर के बच्चों को यह दिन में एक बार देना सुरक्षित रहता है।
लाभ:
घी गले की खुश्की और जलन को शांत करता है, जबकि काली मिर्च जमा कफ को ढीला कर बाहर निकालने में मदद करती है। यह नुस्खा विशेषकर रात में खांसी के दौर को शांत करता है, जिससे बच्चे को बेहतर नींद मिलती है और शरीर की प्राकृतिक रिकवरी तेज होती है। (बच्चों की खांसी के लिए आयुर्वेदिक उपाय)

अजवाइन की पोटली से सेंक – सांस की रुकावट दूर
खांसी और जुकाम के दौरान जब बच्चे को छाती में जकड़न या सांस लेने में तकलीफ होती है, तो अजवाइन की पोटली से सेंक देना एक बेहद असरदार और पारंपरिक घरेलू उपाय है। यह बिना किसी दवा के राहत पहुंचाता है और छोटे बच्चों के लिए भी सुरक्षित होता है।
उपयोग की विधि:
1 से 2 चम्मच सूखी अजवाइन को तवे पर हल्का भूनें जब तक उसमें से तेज सुगंध आने लगे। अब इसे एक साफ सूती कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। जब यह पोटली गर्म हो (लेकिन ज्यादा नहीं), तो इसे बच्चे की छाती, पीठ और तलवों पर धीरे-धीरे सेक के रूप में लगाएं।
लाभ:
अजवाइन की गर्मी और उसकी सुगंध कफ को ढीला करने में मदद करती है और सांस की रुकावट को कम करती है। यह तकनीक विशेष रूप से रात के समय उपयोगी होती है, जब बच्चे की खांसी बढ़ जाती है। (बच्चों की खांसी के लिए आयुर्वेदिक उपाय)

हल्दी वाला दूध – आयुर्वेदिक इम्यूनिटी टॉनिक
हल्दी वाला दूध, जिसे अक्सर “गोल्डन मिल्क” भी कहा जाता है, एक प्राचीन आयुर्वेदिक उपाय है जो बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने और खांसी-जुकाम से बचाव में बेहद प्रभावी है। हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन (Curcumin) तत्व एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है।
कैसे दें:
रात को सोने से पहले एक कप दूध को हल्का गर्म करें और उसमें आधा चम्मच शुद्ध हल्दी मिलाएं। अगर बच्चा 2 साल से ऊपर है, तो स्वाद बढ़ाने के लिए थोड़ा शहद भी मिला सकते हैं (1 साल से छोटे बच्चों को शहद नहीं देना चाहिए)।
लाभ:
यह नुस्खा गले की खराश, सूजन और छाती की जकड़न को कम करने में मदद करता है। साथ ही बच्चे की नींद भी बेहतर होती है और शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
ध्यान दें: यह उपाय 1 साल से ऊपर के बच्चों के लिए ही उपयुक्त है। (बच्चों की खांसी के लिए आयुर्वेदिक उपाय)

बच्चे की खांसी में क्या न करें – जरूरी सावधानियाँ
बच्चों की खांसी का इलाज करते समय घरेलू उपाय ज़रूर मददगार होते हैं, लेकिन कुछ जरूरी सावधानियाँ बरतना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। कई बार अच्छी नीयत से किया गया गलत कदम बच्चे की तकलीफ बढ़ा सकता है।
1. ठंडी और खट्टी चीज़ों से परहेज़ करें:
आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स, दही या खट्टे फल खांसी को बढ़ा सकते हैं, इसलिए इनसे पूरी तरह बचें।
2. तापमान में अचानक बदलाव न होने दें:
बच्चे को बहुत ठंडे कमरे से तुरंत धूप में या बाहर न निकालें। इससे गले में सूजन और खांसी बढ़ सकती है।
3. किसी भी घरेलू उपाय का ओवरडोज़ न करें:
हर नुस्खे की मात्रा सीमित रखें। बार-बार देने से बच्चे के पाचन तंत्र पर असर पड़ सकता है।
इन बातों का ध्यान रखने से न सिर्फ खांसी जल्दी ठीक होती है, बल्कि बच्चे को कोई नया संक्रमण भी नहीं होता।
निष्कर्ष:
बच्चों की खांसी को नजरअंदाज करना नहीं चाहिए, लेकिन हर बार दवाइयों पर निर्भर रहना भी सही नहीं। ऊपर बताए गए आयुर्वेदिक उपाय न सिर्फ खांसी में राहत देंगे, बल्कि बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाएंगे। हर उपाय से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें, खासकर अगर बच्चा बहुत छोटा है या लक्षण गंभीर हैं।
बच्चों की खांसी के लिए आयुर्वेदिक उपाय – FAQ
1. क्या 1 साल से छोटे बच्चों को शहद दिया जा सकता है?
नहीं, 1 साल से छोटे बच्चों को शहद देने की सलाह नहीं दी जाती है। इससे botulism का खतरा हो सकता है।
2. क्या हल्दी वाला दूध हर रोज़ देना सुरक्षित है?
हाँ, 1 साल से ऊपर के बच्चों को हल्दी वाला दूध सप्ताह में 3 से 4 बार दिया जा सकता है।
3. कितने समय तक आयुर्वेदिक उपाय जारी रखें?
अगर 3 से 5 दिन में आराम न हो तो डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।