बच्चों की सेहत क्यों है स्कूल की ज़िम्मेदारी? – WHO का सुझाव और हमारी सच्चाई

आजकल बच्चों के खानपान से लेकर लाइफस्टाइल तक बहुत कुछ बदल गया है। बच्चों को मोबाइल मिल गया है, लेकिन दौड़ने को मैदान नहीं। खाने में स्वाद तो है, पर पोषण नहीं। ऐसे में “स्कूलों में स्वास्थ्य जांच क्यों जरूरी है – WHO सुझाव” सिर्फ एक बात नहीं, बल्कि एक चेतावनी है — कि अब और देर न हो।

हर मां-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा स्वस्थ और खुश रहे। पर क्या हमने कभी सोचा है कि स्कूलों में हर साल उनके स्वास्थ्य की जांच होनी चाहिए? WHO यही कहता है — और हम सभी को अब इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है।

WHO क्या कहता है – और क्यों?

WHO यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने साफ तौर पर कहा है: स्कूलों में स्वास्थ्य जांच क्यों जरूरी है – WHO सुझाव” ये इसलिए ज़रूरी है क्योंकि यहीं से बच्चों का भविष्य तय होता है।

स्कूल सिर्फ पढ़ाई की जगह नहीं है, बल्कि बच्चे वहां दिन का बड़ा हिस्सा बिताते हैं। अगर वहीं उनकी सेहत पर ध्यान दिया जाए, तो न सिर्फ बीमारियों को रोका जा सकता है, बल्कि एक मजबूत पीढ़ी भी तैयार की जा सकती है।

यह भी पढ़ें: 2025 में सरकारी अस्पतालों के लिए शुरू की गई नई स्वास्थ्य योजनाएं आपके लिए क्या बदल रहा है?

बच्चों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?

  • आँखों की रोशनी कम होना
  • वजन का बहुत कम या बहुत ज्यादा होना
  • दांतों की खराब स्थिति
  • मानसिक तनाव
  • कमजोरी या थकान

अगर स्कूलों में हर साल जांच हो, तो ये सभी चीजें समय रहते पकड़ी जा सकती हैं।

क्यों जरूरी है स्कूल में नियमित हेल्थ चेकअप?

“स्कूलों में स्वास्थ्य जांच क्यों जरूरी है – WHO सुझाव” की बात को अगर दिल से समझा जाए, तो इसके पीछे बहुत बड़े फायदे हैं:

  • इलाज समय पर हो जाता है
  • बच्चों की पढ़ाई में ध्यान बढ़ता है
  • स्कूल और परिवार – दोनों जिम्मेदारी समझते हैं
  • बच्चा खुद अपनी सेहत के प्रति जागरूक होता है

भारत में क्या स्थिति है?

भारत में कुछ राज्यों ने स्कूलों में स्वास्थ्य जांच की पहल की है, लेकिन यह अब भी देशभर में समान रूप से लागू नहीं हो पाई है।

RBSK (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) के तहत 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों की जांच का प्रयास किया गया है, लेकिन संसाधनों की कमी, प्रशिक्षित स्टाफ की उपलब्धता और जागरूकता की कमी के कारण यह पहल सीमित हो गई।

कई स्कूलों में आज भी सालभर में एक बार भी बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच नहीं होती, जिससे कई बीमारियां समय रहते पकड़ में नहीं आ पातीं।

अब क्या किया जा सकता है?

अगर हम वाकई चाहते हैं कि हमारा बच्चा सेहतमंद रहे, तो हमें यह करना होगा:

  • स्कूलों में सालाना हेल्थ चेकअप अनिवार्य हो
  • बच्चों का हेल्थ कार्ड बनाया जाए
  • शिक्षकों को लक्षणों की पहचान की ट्रेनिंग दी जाए
  • मानसिक स्वास्थ्य पर उतना ही ज़ोर दिया जाए जितना शारीरिक सेहत पर

स्कूलों में स्वास्थ्य जांच क्यों जरूरी है – WHO सुझाव – FAQs:

1. क्या WHO ने कोई रिपोर्ट जारी की है इस बारे में?

WHO ने कई रिपोर्ट्स में बच्चों की सेहत पर ज़ोर देते हुए कहा है कि “स्कूलों में स्वास्थ्य जांच क्यों जरूरी है – WHO सुझाव” पर सभी देशों को गंभीर होना चाहिए।

2. इससे क्या फर्क पड़ेगा?

बच्चों की सेहत सुधरेगी, पढ़ाई बेहतर होगी और भविष्य मजबूत होगा।

3. क्या ये सभी स्कूलों में लागू हो सकता है?

बिलकुल हो सकता है, बस ज़रूरत है नीति और नीयत की।

निष्कर्ष

एक मां-बाप के रूप में, एक शिक्षक के रूप में, एक नागरिक के रूप में — हमें यह समझना होगा कि “स्कूलों में स्वास्थ्य जांच क्यों जरूरी है – WHO सुझाव” कोई कागज़ी बात नहीं है। ये हमारे बच्चों का हक है।

बच्चे स्वस्थ होंगे तो देश स्वस्थ होगा। आइए, हम सब मिलकर यह सुनिश्चित करें कि हर बच्चे को स्कूल में सिर्फ किताबें ही नहीं, बल्कि सेहत भी मिले।

Leave a Comment